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2024 : गुकेश की जीत और भारतीय शतरंज में महाशक्ति के रूप में उदय

साल 2024 भारतीय शतरंज के लिए एक स्वर्णिम अध्याय रहा है। इस वर्ष भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व मंच पर अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है।

2024 : गुकेश की जीत और भारत का शतरंज में महाशक्ति के रूप में उदय

साल 2024 भारतीय शतरंज के लिए एक स्वर्णिम अध्याय रहा है। इस वर्ष भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व मंच पर अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है। चेहरे पर जीत की चमक लिये दोनों बाजू खोलकर मुस्कुराते हुए डी गुकेश की तस्वीर एक अरब से अधिक भारतवासियों की यादों में हमेशा के लिये चस्पा हो गई ।

सिंगापुर में विश्व शतरंज चैम्पियनशिप मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को हराने के ठीक बाद खींची गई यह तस्वीर विश्वनाथन आनंद के दौर के बाद विश्व शतरंज के मानचित्र में भारत के बढते कद की तस्दीक करती है ।

वर्ष 2024 भारतीय शतरंज के उत्थान का रहा जिसका खाका खुद आनंद ने तैयार किया ।

गैरी कास्पारोव के अनुसार ‘विशी के बच्चे’ बेखौफ और महत्वाकांक्षी युवा हैं जिनके पास चेन्नई के 18 वर्ष के गुकेश के रूप में अब एक नया रोलमॉडल है । शतरंज के इतिहास में सबसे युवा विश्व चैम्पियन बने गुकेश ।

इस सफर की शुरूआत अप्रैल में फिडे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के जरिये हुई । वह टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने और इसके साथ ही 32 वर्ष के लिरेन के खिलाफ विश्व चैम्पियनशिप मुकाबले में भी जगह बनाई ।

चौदह दौर के खिताबी मुकाबले से पहले ही गुकेश को प्रबल दावेदार माना जा रहा था जिससे दबाव बनना लाजमी था । तीसरे, 11वें और 14वें दौर में जीत दर्ज करके गुकेश ने विश्व चैम्पियन का खिताब जीता ।

पूरे देश की उम्मीदों के बोझ का डटकर सामना करते हुए गुकेश ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया । इसका श्रेय उनके सहयोगी स्टाफ को भी जाता है जिसमें भारत में शतरंज की क्रांति का सूत्रपात करने वाले आनंद और मशहूर मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अपटन शामिल थे ।

शतरंज में भारत की उपलब्धि

  • छह स्वर्ण पदक : गुकेश की जीत से पहले सितंबर में बुडापेस्ट में भारत ने शतरंज ओलंपियाड में टीम और व्यक्तिगत वर्ग में छह स्वर्ण पदक जीते ।
  • ओलंपियाड में डबल धमाका : पुरूष टीम फाइनल में भारत ने स्लोवेनिया को और महिला वर्ग में अजरबैजान को हराया । एक ही ओलंपियाड में महिला और पुरूष दोनों खिताब जीतने वाले दूसरे दो देश चीन और पूर्व सोवियत संघ हैं ।
  • व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण पदक : व्यक्तिगत वर्ग में गुकेश, अर्जुन एरिगैसी, दिव्या देशमुख और वंतिका अग्रवाल ने स्वर्ण पदक जीते ।
  • भाई-बहन की उपलब्धि : पिछले साल 2500 ईएलओ रेटिंग पार करने वाले ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा और आर वैशाली कैंडिडेट्स में खेलने वाली भाई बहन की पहली जोड़ी रही । ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल करने वाले भी वे पहले भाई बहन हैं ।
  • प्रज्ञानानंदा की जीत : प्रज्ञानानंदा ने मई में नॉर्वे शतरंज में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को उनकी ही धरती पर क्लासिकल प्रारूप में हराया।
  • एरिगैसी @ 2800 : अर्जुन एरिगैसी 2800 ईएलओ रेटिंग अंक पार करने वाले आनंद के बाद दूसरे भारतीय बने । वह इस समय कार्लसन (2831), फेबियानो कारूआना (2805) और हिकारू नकामूरा (2802) के बाद 2801 अंक लेकर चौथे स्थान पर हैं ।
  • भारत चौथे स्थान पर : फिडे टीम रैंकिंग में चौथे स्थान पर हैं ।

भारत में 64 ग्रैंडमास्टर हैं और उनमें से अधिकांश 25 वर्ष से कम के हैं । ये फ्रीस्टाइल शतरंज ग्रैंडस्लैम टूर, फिडे महिला जीपी, फिडे महिला विश्व कप और एशियाई चैम्पियनशिप में अगले साल चुनौती पेश करेंगे । लिहाजा पिक्चर अभी बाकी है ।

गुकेश की जीत का महत्व

  • युवा प्रतिभा का उदय : गुकेश की जीत ने यह साबित कर दिया है कि भारत में युवा शतरंज खिलाड़ियों में कितनी प्रतिभा है। उनकी उम्र और हासिल की गई उपलब्धि ने दुनिया भर में शतरंज प्रेमियों को चकित कर दिया है।
  • भारत की बढ़ती शतरंज शक्ति : इस जीत ने भारत को विश्व शतरंज के मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ एक शतरंज राष्ट्र नहीं रहा, बल्कि एक शतरंज महाशक्ति बन रहा है।
  • विश्वनाथन आनंद की विरासत : गुकेश की सफलता विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे बढ़ाती है। आनंद ने भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था और गुकेश उनकी इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

भारत के शतरंज में उत्थान के कारण

  • विश्वनाथन आनंद का योगदान : आनंद ने भारतीय शतरंज के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। उन्होंने न केवल खुद विश्व चैंपियन बने, बल्कि युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया।
  • सरकार का समर्थन : भारतीय सरकार ने शतरंज को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे इस खेल को देश में लोकप्रियता मिली है।
  • निजी क्षेत्र का योगदान : कई निजी कंपनियां और संगठन शतरंज के विकास में योगदान दे रहे हैं।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म : ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने शतरंज को अधिक सुलभ बनाया है, जिससे युवाओं को घर बैठे सीखने और खेलने का मौका मिल रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

  • अधिक विश्व चैंपियन : गुकेश के बाद, भारत से और भी कई विश्व चैंपियन निकल सकते हैं।
  • शतरंज का लोकप्रियता में इजाफा : शतरंज भारत में एक लोकप्रिय खेल बनता जा रहा है और यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहेगी।
  • शतरंज का व्यावसायीकरण : भारतीय शतरंज खिलाड़ी अब अधिक पैसे कमा सकते हैं, जिससे इस खेल को एक करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

शैलेश नेर्लीकर- बुद्धिबळातला स्टीफन हॉकिंग

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