Indian boxing: 2024 का निराशाजनक सफर

भारतीय मुक्केबाजी (Indian boxing): 2024 का निराशाजनक सफर
2024 भारतीय मुक्केबाजी के लिए एक निराशाजनक साल रहा। 2023 में दिखाए गए दमदार प्रदर्शन के बाद पेरिस ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन परिणाम उलटे आए।
कोचिंग संकट से लेकर पेरिस ओलंपिक की असफलता तक भारतीय मुक्केबाजी के लिए वर्ष 2024 निराशाजनक रहा। भारतीय मुक्केबाजों ने वर्ष 2023 में अच्छा प्रदर्शन किया था और इसलिए उनसे काफी उम्मीद की जा रही थी। लेकिन पेरिस ओलंपिक में कोई भी भारतीय मुक्केबाज पदक नहीं जीत पाया।
अब तक ओलंपिक में भारत को तीन कांस्य पदक
- विजेंदर सिंह (2008)
- एमसी मैरी कॉम (2012)
- लवलीना बोरगोहेन (2021)
इस साल इसमें कुछ नए नाम जुड़ने की उम्मीद थी। निशांत देव दुर्भाग्य से ओलंपिक पदक से चूक गए लेकिन निकहत जरीन और लवलीना ने निराश किया जबकि इन्हें पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था।
रिंग से इतर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (BFI) की लापरवाही के कारण भारत ने एक ओलंपिक कोटा भी गंवाया। विश्व स्तर की बात करें तो मुक्केबाजी के शीर्ष अधिकारी इस खेल को ओलंपिक में बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
निराशा के मुख्य कारण:
- कोचिंग संकट: कोचिंग में स्थिरता की कमी और उचित मार्गदर्शन का अभाव भारतीय मुक्केबाजों के प्रदर्शन को प्रभावित कर रहा है।
- बीएफआई की लापरवाही: भारतीय मुक्केबाजी महासंघ की लापरवाही के कारण भारत ने एक ओलंपिक कोटा गंवाया, जो एक बड़ा झटका था।
- विश्व स्तर पर मुक्केबाजी का संकट: मुक्केबाजी के भविष्य को लेकर अनिश्चितता ने भी भारतीय मुक्केबाजों के मनोबल को प्रभावित किया होगा।
भारत को पहले विश्व क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में निराशा हाथ लगी और उसके नौ मुक्केबाजों में से कोई भी ओलंपिक कोटा हासिल नहीं कर पाया। इसके बाद हाई परफार्मेंस निदेशक बर्नार्ड डन को अपना पद छोड़ना पड़ा। केवल हार ही परेशान करने वाली नहीं थी बल्कि जिस तरह से भारतीय मुक्केबाज बाहर हुए वह चिंता का विषय था। भारत के अधिकतर मुक्केबाज नॉकआउट में बाहर हुए।
ओलंपिक कोटा गंवाना सबसे निराशाजनक
भारतीय मुक्केबाजी की निराशा तब और बढ़ गई जब महिलाओं के 57 किग्रा भार वर्ग में परवीन हुड्डा को अपना ओलंपिक कोटा गंवाना पड़ा। यह मुक्केबाज अपना ठिकाना बताने में नाकाम रही जिसके लिए विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने उन्हें 22 महीने के लिए निलंबित कर दिया। इसके लिए भारतीय मुक्केबाजी महासंघ भी दोषी रहा क्योंकि विश्व संस्था ने उसे इस चूक के बारे में पहले ही अवगत करा दिया था। भारत के छह मुक्केबाजों ने पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया जबकि पिछले ओलंपिक खेलों में भारत के नौ मुक्केबाजों ने हिस्सा लिया था।
कुछ ऐसा था खिलाड़ियों का प्रदर्शन
- भारतीय खिलाड़ियों में जरीन को पदक का मुख्य दावेदार माना जा रहा था लेकिन महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में चीन की मुक्केबाज वू यू के सामने उनकी एक नहीं चल पाई।
- पिछले ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना को भी चीन की खिलाड़ी ने हराया।
- अमित पंघाल फिर से प्री क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए
- सबसे दिल तोड़ने वाली हार निशांत की रही जिन्हें पुरुषों के 71 किग्रा भार वर्ग के क्वार्टर फाइनल में दबदबा बनाए रखने के बावजूद मेक्सिको के मार्को वर्डे अल्वारेज़ ने 1-4 से हराया।
राष्ट्रीय खेल महासंघ निलंबित होते होते रहा
इस बीच अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) ने धमकी दी कि अगर राष्ट्रीय खेल महासंघ निलंबित अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ से जुड़े रहते हैं तो इस खेल को 2028 में लॉस एंजेलिस में होने वाले ओलंपिक खेलों से बाहर किया जा सकता है। भारत ने इसके बाद वर्ल्ड बॉक्सिंग का हाथ थाम दिया जिसे आईओसी से मान्यता हासिल है। मुक्केबाजी 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों का हिस्सा रहेगी या नहीं इसको लेकर मामला अभी अधर में लटका हुआ है।