2025 में ये महामारी बन सकती है बड़ी समस्या?
‘इन्फ्लूएंजा ए’- ‘एच5एन1’ ऐसा वायरस है जो जंगली और घरेलू पक्षियों (जैसे मुर्गी) दोनों में व्यापक रूप से फैलता है।
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2025 में ये महामारी बन सकती है बड़ी समस्या?
कोनोर मीहन, नॉटिंघम ट्रेंट विश्वविद्यालय
नाटिंघम (ब्रिटेन), 26 दिसंबर 2025
कोविड-19 महामारी ने हमें यह स्पष्ट कर दिया है कि संक्रामक रोग कितनी तेजी से फैल सकते हैं और दुनिया को कितना प्रभावित कर सकते हैं। वन्य जीवों के साथ मानवीय संपर्क बढ़ने से जानवरों से मनुष्यों में रोगों का संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। खतरा अभी टला नहीं इसमे कोई भी दो राय नहीं है। शायद आगे किसी वायरस, या बैक्टीरिया, फंगस के हम शिकार तो नहीं होंगे?
इस बिमारी से हर वर्ष 20 लाख मृत्यु
प्रभावकारी टीकों की वजह से फिलहाल आज हम कोविड से सुरक्षित तो है। और कोविड भी खत्म होने के कगार पर है। लेकिन कोविड के खत्म होने से खतरा टला नहीं है। और भी कई बिमारियां हमारे लिए खतरा पैदा कर सकती है। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी हमे तीन संक्रामक रोगों के बारे में सजग करना चाहते है, जिसमें मलेरिया (एक पैरासाइट), एचआईवी (एक वायरस) और ट्यूबरक्यूलोसिस (एक बैक्टीरिया) का जिक्र किया है। इन बिमारियों के कारण हर वर्ष लगभग 20 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
‘एंटीबायोटिक्स’ भी है बेअसर
इतना ही नहीं, कुछ और भी रोगाणु है जिससे बचना हमारे लिए सबसे बडा चैलेंज होगा। खास करके वे रोगाणु जिन पर ‘एंटीबायोटिक्स’ और ‘एंटीवायरल’ जैसी दवाएं भी असर नहीं करती। इन रोगाणुओं से बचने के लिए आमतौर पर ‘एंटीबायोटिक्स’ और ‘एंटीवायरल’ जैसी दवाओं का ही इस्तेमाल किया जाता है।
इन्फ्लूएंजा वायरस का खतरा
कुछ रोगाणुओं पर लगातार कड़ी निगरानी रखनी आरोग्य संस्थाओं को जरूरी है। बीमारी का कोई भरोसा नहीं, जो कहीं भी फैल सकती है। कुछ बीमारियां तो ऐसी है कि कुछ समूहों में तेजी से फैल सकती हैं, जिनमें इन्फ्लूएंजा वायरस भी शामिल है।
इन्फ्लूएंजा वायरस सबसे चिंता का विषय बना हुआ है और 2025 में यह एक गंभीर समस्या बन सकता है।
‘इन्फ्लूएंजा ए’ का उपस्वरूप ‘बर्ड फ्लू’!
‘इन्फ्लूएंजा ए’ का एक उपस्वरूप ‘एच5एन1’ है। ‘एच5एन1’ को ही “बर्ड फ्लू” से भी जाना जाता है। यह ऐसा वायरस है जो जंगली और घरेलू पक्षियों (जैसे मुर्गी) दोनों में व्यापक रूप से फैलता है। अभी यह वायरस कई अमेरिकी राज्यों में डेयरी मवेशियों को भी संक्रमित कर रहा है। यहाँ तक की मंगोलिया में घोड़ों में भी पाया गया है।
कच्चा दूध पीने से बर्ड फ्लू का खतरा
जब पक्षियों में इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़ने लगते हैं, तो यह मनुष्यों को भी संक्रमित करता है। यह काफी चिंता का विषय है। वास्तव में, बर्ड फ्लू मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है। 2024 में अमेरिका में इसके 61 मामले सामने आ चुके हैं। ज्यादातर मामले कृषि श्रमिकों के संक्रमित मवेशियों के संपर्क में आने तथा कच्चा दूध पीने वाले लोगों के कारण हुए हैं।
बर्ड फ्लू से 30 प्रतिशत मृत्यु की संभावना
2022 और 2023 में अमेरिका में केवल दो मामले सामने आए थे, जिसकी तुलना में 2024 में काफी अधिक वृद्धि है।
अगर बर्ड फ्लू से मनुष्यों मे संक्रमित होने के मामलों में मृत्यु दर 30 प्रतिशत होती है। इसी कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए बर्ड फ्लू सबसे गंभीर चिंता का विषय है। बर्ड फ्लू से निपटने के लिए सबसे ज्यादा प्राथमिकता देना जरूरी है।
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता बर्ड फ्लू
मनुष्यों के लिए एक सबसे अच्छी बात ये है कि, बर्ड फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित नहीं होता। इसलिए महामारी फैलने की चिंता तो नहीं है, लेकिन सावधान होना आवश्यक है।
इन्फ्लूएंजा वायरस को कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करने के लिए और प्रतिकृति बनाने के लिए कोशिकाओं के बाहर स्थित Sialic Receptor नामक आणविक संरचनाओं से जुड़ना पड़ता है।
मनुष्य के शरीर के अंदर इन ‘सियालिक रिसेप्टर्स’ को बर्ड फ्लू अच्छी तरह से पहचान लेते हैं। इसी कारण हमारी कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करना उन्हे आसान हो जाता है, जिसकी वजह से मनुष्य में यह वायरस फैलता है। इसे उल्टा पक्षियों के मामले में है। मनुष्यों की तुलना में पक्षियों में बर्ड फ्लू तेजी से फैलता है।
हालांकि, एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि फ्लू के अनुक्रमण में एक उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) भी होता है, जिससे H5N1 वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने में मदद मिलती है और इसकी वजह से महामारी भी फैल सकती है।
अगर Bird Flue से मनुष्य संक्रमित होते है तो तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है।
विश्व भर में बर्ड फ्लू और अन्य बीमारियों के लिए लडने के लिए तैयारी की है।
ब्रिटेन ने 2025 की तैयारियों के तहत एच5 टीकों की लगभग 50 लाख खुराक खरीदी हैं। इन टीकों से बर्ड फ्लू से बचाया जा सकता हैं।
बर्ड फ्लू से शायद मनुष्यों को संक्रामित ना भी करें तो भी ये पशुओं में संक्रामित होने की आशंका ज्यादा है। अगर ऐसा होता है, तो मनुष्यों के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि इससे खाद्य आपूर्ति होने की संभावना है। आर्थिक प्रभाव पड़ने का भी धोका है।
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